कुछ बदला बदला सा लगता है
पर बदला क्या मालूम नहीं
रंग वही है राग वही
कागज कातिब किताब वही
तुम हो वैसी ही ये तो है
मैं अब भी शायद वैसा हूँ
पर फिर भी कुछ तो बदल है
पर बदल क्या मालूम नहीं
दरमियाँ अब भी बात वही
उड़ते फिरते जज़्बात वही
तुम तो मेरी वैसी ही हो
मैं अब भी शायद तेरा हूँ
पर फिर भी कुछ तो बदला है
पर बदला क्या मालूम नहीं
- आयुष द्विवेदी
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